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अक्तूबर 9, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)P5

  Part 07 click link: Buy Low price on Amazon रामायण का पहला और अन्तिम कांड संभवतः बाद में जोड़ा गया था। अध्याय दो से सात तक ज्यादातर इस बात पर बल दिया जाता है कि राम  विष्णु [ग]  के अवतार थे। कुछ लोगों के अनुसार इस महाकाव्य में यूनानी और कई अन्य सन्दर्भों से पता चलता है कि यह पुस्तक दूसरी सदी ईसा पूर्व से पहले की नहीं हो सकती पर यह धारणा विवादास्पद है। ६०० ईपू से पहले का समय इसलिये भी ठीक है कि बौद्ध जातक रामायण के पात्रों का वर्णन करते हैं जबकि रामायण में जातक के चरित्रों का वर्णन नहीं है part 06 हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान राम,  विष्णु  के मानव अवतार थे। इस अवतार का उद्देश्य मृत्युलोक में मानवजाति को आदर्श जीवन के लिये मार्गदर्शन देना था। अन्ततः श्रीराम ने राक्षसों  [च]  के राजा  रावण  का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की। रामायण में सात काण्ड हैं - बालकाण्ड, अयोध्यकाण्ड, अरण्यकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, लङ्काकाण्ड और उत्तरकाण्ड। बालकाण्ड CLICK  HERE PART.O7 अयोध्या  नगरी में  दशरथ  नाम के राजा हुये जिनकी  कौशल्या ,  कैकेयी  और  सुमित्रा  नामक पत्नियाँ थीं। सन्तान प्र

रावण और राक्षस कुल Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P12

              PART.12        रावण और राक्षस कुल  रामायण के अनुसार रावण के पिता  विश्रवा  थे तो ऋषि पुलत्स्य के पुत्र थे। रावण की माता  कैकसी  थी जो राक्षस कुल   की थी इसलिए रावण ब्राह्मण पिता और राक्षसी माता का संतान था और रावण कई विद्याएं, वेद, पुराण, नीति, दर्शनशास्त्र, इंद्रजाल आदि में पारंगत होने के बावजूद भी उनकी प्रवृत्तियां राक्षसी थी और पूरे संसार में आतंक मचाता था। रावण का बड़ा भाई वैश्रावण था।

रावण के जन्म की कथा Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P10

  {रावण के जन्म की कथा} NEXT PART. 10                                        BUY ON AMAZON                             BUY ON AMAZON ...................................................................................................................................................... देव और दैत्य आपस में सौतेले भाई थे और निरंतर झगडते आ रहे हैं। महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति से देव और दिति से दैत्य जन्म लिये। दिति की गलत शिक्षाओं का नतीजा और अदिति के पुत्रों से अपने संतान को आगे बनाने की होड़ में दैत्य गलत दिशा में चले गये और  देवताओं के कट्टर शत्रु बन गये। युगों तक लडते रहे, कभी दैत्य तो कभी देवताओं का पलड़ा भारी रहता था। दोनों देव और दानव तपस्या करते थे, दान पुण्य आदि श्रेष्ठ कर्म करते थे। कभी ब्रह्मा जी से तो कभी महादेव से वर प्राप्त करते थे  और फिर एक ही काम एक दूसरे को नीचा दिखाना। निरंतर लडाई - झगड़े से देवता दुखी हो गये । तब देवताओं ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की, कि वो कुछ करें। ब्रह्मा जी ने देवताओं को सागर मंथन की बात कह और उससे अमृत प्राप्त होने की बात बतलाई जिसे देवता पी लें,

14वर्ष का वनवास ही क्यों Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P8

                 BUY ON AMAZON                                 Part 08                          BUY ON AMAZON ........................................................................................................................................................ भगवान राम के जन्म-समय पर पौराणिक शोध [ संपादित करें ] राम के कथा से सम्बद्ध सर्वाधिक प्रमाणभूत ग्रन्थ आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में रामजी के-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:  चैत्रे नावमिके तिथौ।। नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु। ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।। [14] अर्थात्  चैत्र  मास की नवमी तिथि में पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा  कर्क  लग्न में  चन्द्रमा  के साथ  बृहस्पति  के स्थित होने पर (रामजी का जन्म हुआ)। यहां केवल बृहस्पति तथा चन्द्रमा की स्थिति स्पष्ट होती है। बृहस्पति उच्चस्थ है तथा चन्द्रमा स्वगृही। आगे पन्द्रहवें श्लोक में  सूर्य  के उच्च होने का उल्लेख है। इस प्रकार बृहस्पति तथा सूर्य के उच्च होने का पता चल जाता है।  बुध  हमेशा सूर्य के पा

Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P7 दशरथ का देहावसान

  PART.07 दशरथ का देहावसान कैकेयी का कोपभवन में दशरथ से दो वर मांगना राम के सीता के विवाह के बाद दशरथ ने यह घोषणा कर दी कि राम का राज्याभिषेक तुरन्त होगा। कैकेयी की एक कुबड़ी दासी थी मन्थरा जिसने कैकेयी को बचपन से पाल-पोस कर बड़ा किया था और कैकेयी के विवाह के बाद उनके साथ ही आ गई थी। वह एक कुटिल राजनीतिज्ञ थी। उसने कैकेयी को मंत्रणा दी कि राम के राज्याभिषेक से कैकेयी का भला नहीं वरन् अनहित ही होने वाला है। उसने कैकेयी को राजा दशरथ से अपने दो वर मांगने की सलाह दी। यह घटना उस समय की है जब दशरथ देवों के साथ मिलकर असुरों के विरुद्ध युद्ध कर रहे थे। असुरों को खदेड़ते समय उनका रथ युद्ध के कीचड़ (रक्त, पसीना तथा मृतक शरीर) में फँस गया। उस रथ की सारथी स्वयं कैकेयी थीं। उसी समय किसी शत्रु ने युधास्त्र चला कर दशरथ को घायल कर दिया तथा वह मरणासन्न हो गये। यदि कैकेयी उनके रथ को रणभूमि से दूर ले जाकर उनका उपचार नहीं करतीं तो दशरथ की मृत्यु निश्चित थी। दशरथ ने होश में आकर कैकेयी से कोई भी दो वर मांगने का आग्रह किया। उस समय अयोध्या साम्राज्य की परिस्थितियाँ अनुकूल थीं तथा सभी सौहार्द्रपूर्ण वातावरण मे

Ramayan(Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)

  Part. 05 जिस प्रकार किसी फिल्म में हीरो, हीरोइन अपना किरदार निभाते हैं उसी प्रकार हर युग (सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलयुग) में जीव अपने कर्म आधार पर अपना किरदार निभाने हेतु पृथ्वी पर जन्म लेते हैं चाहे वह स्वर्ग का राजा ही क्यों न हो।  पिछले कर्मों के फलस्वरूप सबको अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है तथा चाहकर भी इस काल रूपी ब्रह्म के जाल से बच नहीं सकते। FREE home delivery Click Buy  ये अरहट का कुंआ लोई, या गल बंध्या है सब कोई। कीड़ी कुंजर और अवतारा, अरहट डोर बंधे कई बारा।।  चतुर्भुजी भगवान कहावें, हरहट डोर बंधे सब आवें। यो है खोखापुर का कुंआ, या में पड़ा सो निश्चय मुवा।।  माया (दुर्गा) और काल के संभोग से उत्पन्न होकर करोड़ों गोविंद (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) जन्म और मृत्यु के फेरे लगा चुके हैं।  विष्णु भगवान राम का अवतार लेकर पृथ्वी पर आए थे। फिर कर्म बंधन में फंसे होने के कारण अपने कर्मों को भोगकर 84 लाख योनियों में चले गए।.  रामायण कथा  मित्रों यह पोस्ट Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) part.5 आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi

Ramayan(Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)

  Part. 04 वाल्मीकि रामायण के बाद राम के जीवन पर रामचरितमानस 16 वीं शताब्दी के भारतीय भक्ति कवि गोस्वामी तुलसीदास (1532-1623) द्वारा रचित अवधी भाषा में एक महाकाव्य कविता है। रामचरितमानस शब्द का शाब्दिक अर्थ है “राम के कर्मों की झील”। वर्तमान में इसे हिंदी साहित्य की सबसे बड़ी कृतियों में से एक माना जाता है। Click on link : Ram ji ka Drass Buy on Amazon  यज्ञ समाप्ति के बाद ऋषि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने राम को ( राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे), कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। मित्रों यह पोस्ट Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) part.4 आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) part.5 की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।

Ramayan(Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)

  part.  4 रामायण संकलन है राम के जीवनकाल से जुड़ी घटनाओं का जिसमें गुरू शिक्षा, विवाह, वनवास, मित्रता, युद्ध, अग्नि परीक्षा, विछोह, परित्याग, अविश्वास, मान-अपमान, जीत, दुख, दीवाली और जलसमाधि तक का जीवंत चित्रण पढ़ने को मिलता है। राम एक ऐसा चरित्र है जिसका जीवन मर्यादा, मूल्यों, सीख, और मानवीय एहसासों से भरा रहा।. रामायण कथा |  राम के लिए पिता के शब्द पत्थर की लकीर थे। गुरु के वचन अमल करने योग्य , माताओं का दुलार बांटने योग्य , भाईयों के प्रति दुलार था, हनुमान के लिए मित्रता और सीता के प्रति अथाह प्रेम था। राम में वह सभी गुण थे जो किसी भी अच्छे चरित्रवान व्यक्ति /मनुष्य में हो सकते हैं। राम का चरित्र हमें जीवन को मर्यादाओं में रह कर जीने की सीख भी देता है।. रामायण कथा | Ramayan   मित्रों यह पोस्ट Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) part.5 आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) part.5 की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।

Ramayan(Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)

  यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी blog से कोई भी परेशानी हो तो हमें kantilalsutharhyd@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे। रामायण संकलन है राम के जीवनकाल से जुड़ी घटनाओं का जिसमें गुरू शिक्षा, विवाह, वनवास, मित्रता, युद्ध, अग्नि परीक्षा, विछोह, परित्याग, अविश्वास, मान-अपमान, जीत, दुख, दीवाली और जलसमाधि तक का जीवंत चित्रण पढ़ने को मिलता है। राम एक ऐसा चरित्र है जिसका जीवन मर्यादा, मूल्यों, सीख, और मानवीय एहसासों से भरा रहा।.  रामायण -कथा हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान राम, विष्णु के मानव अवतार थे। इस अवतार का उद्देश्य मृत्युलोक में मानवजाति को आदर्श जीवन के लिये मार्गदर्शन देना था। अन्ततः श्रीराम ने राक्षस जाति के राजा रावण का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की।रामायण प्राचीन भारत का एक अतिलोकप्रिय महाकाव्य ग्रंथ हैं। रामायण की मूल रचना महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में की थी, बाद में तुलसीदास ने इन छन्दों की रचना हिन्दी में रामचरितमानस के रूप में की।

Ramayan(Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) part.2

यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी blog से कोई भी परेशानी हो तो हमें kantilalsutharhyd@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे। रामायण-कथा हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान राम, विष्णु के मानव अवतार थे। इस अवतार का उद्देश्य मृत्युलोक में मानवजाति को आदर्श जीवन के लिये मार्गदर्शन देना था। अन्ततः श्रीराम ने राक्षस जाति के राजा रावण का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की।रामायण प्राचीन भारत का एक अतिलोकप्रिय महाकाव्य ग्रंथ हैं। रामायण की मूल रचना महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में की थी, बाद में तुलसीदास ने इन छन्दों की रचना हिन्दी में रामचरितमानस के रूप में की। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चारित्रिक गुणों और बुराई पर अच्छाई की जीत की विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है। रामायण में लिखे गये मानवीय मूल्यों को पढ़कर भारतवासी इसे श्रद्धा और आदर की दृष्टि से देखते हैं।. रामायण हिन्दू रघुवंश के राजा राम की गाथा है। । यह आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत

Ramayan(Ramayan hi naam kiyu or koi naam kiyu nahi)

  Ramayan (Ramayan hi kiu or koi naam kiyo nahi) दोस्तों मेरा नाम  कांतिलाल सुथर है। Part no.1 रामायण प्राचीन भारत का एक अतिलोकप्रिय महाकाव्य हैं। रामायण का मतलब है अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम की सम्पूर्ण जीवनगाथा। रामायण की मूल रचना महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में की थी, बाद में तुलसीदास ने इन छन्दों की रचना हिन्दी में  रामचरितमानस के रूप में  की। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चारित्रिक गुणों और बुराई पर अच्छाई की जीत की विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है। रामायण में लिखे गये मानवीय मूल्यों को पढ़कर भारतवासी इसे श्रद्धा और आदर की दृष्टि से देखते हैं।  यह हिंदु धर्म का सबसे पवित्र धर्म ग्रन्थ माना जाता है। भारत के अधिकांश मंदिरों में सुबह और शाम रामायण की चौपाइयां बड़े ही भक्ति भाव से गायी जाती है। click on link . war of Lanka(Book of Amazon)   (Ramayan hi kiu or koi naam kiyo nahi) अगला भाग जल्द ही अगले ब्लॉग पर आ रहा है. यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी blog से कोई भी परे