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Ramayan(Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)

 Part. 05

जिस प्रकार किसी फिल्म में हीरो, हीरोइन अपना किरदार निभाते हैं उसी प्रकार हर युग (सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलयुग) में जीव अपने कर्म आधार पर अपना किरदार निभाने हेतु पृथ्वी पर जन्म लेते हैं चाहे वह स्वर्ग का राजा ही क्यों न हो। 
पिछले कर्मों के फलस्वरूप सबको अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है तथा चाहकर भी इस काल रूपी ब्रह्म के जाल से बच नहीं सकते।
 ये अरहट का कुंआ लोई, या गल बंध्या है सब कोई। कीड़ी कुंजर और अवतारा, अरहट डोर बंधे कई बारा।। 
चतुर्भुजी भगवान कहावें, हरहट डोर बंधे सब आवें। यो है खोखापुर का कुंआ, या में पड़ा सो निश्चय मुवा।। 
माया (दुर्गा) और काल के संभोग से उत्पन्न होकर करोड़ों गोविंद (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) जन्म और मृत्यु के फेरे लगा चुके हैं। 
विष्णु भगवान राम का अवतार लेकर पृथ्वी पर आए थे। फिर कर्म बंधन में फंसे होने के कारण अपने कर्मों को भोगकर 84 लाख योनियों में चले गए।. रामायण कथा 




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