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14वर्ष का वनवास ही क्यों Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P8

                 BUY ON AMAZON                                 Part 08                          BUY ON AMAZON ........................................................................................................................................................ भगवान राम के जन्म-समय पर पौराणिक शोध [ संपादित करें ] राम के कथा से सम्बद्ध सर्वाधिक प्रमाणभूत ग्रन्थ आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में रामजी के-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:  चैत्रे नावमिके तिथौ।। नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु। ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।। [14] अर्थात्  चैत्र  मास की नवमी तिथि में पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा  कर्क  लग्न में  चन्द्रमा  के साथ  बृहस्पति  के स्थित होने पर (रामजी का जन्म हुआ)। यहां केवल बृहस्पति तथा चन्द्रमा की स्थिति स्पष्ट होती है। बृहस्पति उच्चस्थ है तथा चन्द्रमा स्वगृही। आगे पन्द्रहवें श्लोक में  सूर्य  के उच्च होने का उल्लेख है। इस प्रकार बृहस्पति तथा सूर्य के उच्च होने का पता चल जाता है।  बुध  हमेशा सूर्य के पा