सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

Ramayan लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Maa तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा

 Aaj ka Blog Maa K Naam kantilal suthar

Raste Ka Bhoot Story In Hindi

Kantilal suthar एक लड़का दिल्ली की किसी फैक्ट्री में सफाई का काम किया करता था। उसके घर से फैक्ट्री करीब पांच किलोमीटर दूर थी। वो हमेशा अपनी साइकिल से ही फैक्ट्री जाता था। रोज की ही तरह आज भी वो घर से फैक्ट्री के लिए निकला। उसे रास्ते में पड़ने वाले एक चौराहे पर एक लड़की दिखी, जो उसे गुस्से में घूर रही थी। लड़के ने भी उसे देखा और फिर मुंह फेरकर फैक्ट्री चला गया। रवि नाम का एक लड़का दिल्ली की किसी फैक्ट्री में सफाई का काम किया करता था। उसके घर से फैक्ट्री करीब पांच किलोमीटर दूर थी। वो हमेशा अपनी साइकिल से ही फैक्ट्री जाता था। रोज की ही तरह आज भी वो घर से फैक्ट्री के लिए निकला। उसे रास्ते में पड़ने वाले एक चौराहे पर एक लड़की दिखी, जो उसे गुस्से में घूर रही थी। लड़के ने भी उसे देखा और फिर मुंह फेरकर फैक्ट्री चला गया। अगले दिन भी सुबह वो लड़की उसी जगह पर खड़ी थी और रवि को घूर रही थी। उसने पलटकर लड़की को नहीं देखा और सीधे अपने काम पर चला गया। रोजाना इसी तरह हफ्ते भर वो लड़की चौराहे पर खड़ी होकर रवि को घूरती थी और रवि उसे अनदेखा करके फैक्ट्री चला जाता था। करीब सात दिन बाद जब रवि फैक्ट्री जा र

राम जी को वनवास ...Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P16

                                  PART.16                             दोस्तों मेरा नाम कांतिलाल सुथार आज देखते है     राम  जी को वनवास  कियु हुवा था राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन (वनवास) जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊँ) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर जाति के महापुरुषों की सहायता से सीता को ढूंंढा। स

राम जी के जीवन की प्रमुख घटनाएं...Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P15

  PART. 15 दोस्तों मेरा नाम  कांतिलाल सुथार आज देखते है  राम  जी   के जीवन की प्रमुख घटनाएं पुराणों में श्री राम के जन्म के बारे में स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं कि श्री राम का जन्म वर्तमान  भारत  के  अयोध्या  नामक नगर में हुआ था। अयोध्या, जो कि भगवान राम के पूर्वजों की ही राजधानी थी। रामचन्द्र के पूर्वज रघु थे। भगवान राम बचपन से ही शान्‍त स्‍वभाव के वीर पुरूष थे। उन्‍होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था। इसी कारण उन्‍हें  मर्यादा पुरूषोत्तम राम  के नाम से जाना जाता है। उनका राज्य न्‍यायप्रिय और खुशहाल माना जाता था। इसलिए भारत में जब भी सुराज (अच्छे राज) की बात होती है तो रामराज या रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है। धर्म के मार्ग पर चलने वाले राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरू वशिष्‍ठ से शिक्षा प्राप्‍त की। किशोरावस्था में गुरु विश्वामित्र उन्‍हें वन में राक्षसों द्वारा मचाए जा रहे उत्पात को समाप्त करने के लिए साथ ले गये। राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी इस कार्य में उनके साथ थे। ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र, जो ब्रह्म ऋषि बनने से पहले राजा विश्वरथ थे, उनकी तपोभूमि बिहार का बक्सर जि

रावण द्वारा भगवान शंकर की स्तुति ही क्यों हुआ ...Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P14

PART. 14 दोस्तों मेरा नाम  कांतिलाल सुथार आज देखते है  रावण द्वारा भगवान शंकर की स्तुति ही क्यों हुआ एक बार नारद जी फिर से लंका आये, रावण ने उनकी बहुत अच्छी सेवा की, नारद जी ने रावण को कहा “सुना है महादेव से बल पाए हो रावण ने कहा हाँ आपकी बात सही है. नारद ने कहा कितना बल पाए. रावण ने कहा यह तो नहीं पता परंतु अगर मैं चाहूँ तो पृथ्वी को हिला डुला सकता हूँ. नारद ने कहा तब तो आपको उस बल की परीक्षा भी लेनी चाहिये क्युँकि व्यक्ति को अपने बल का पता तो होना ही चाहिये. रावण को नारद की बात ठीक लगी और सोच के बोला महर्षि अगर मैं महादेव को कैलाश पर्वत सहित ऊठा के लंका में ही ले आता हूँ ये कैसा रहेगा? इससे ही मुझे पता चला जायेगा कि मेरे अंदर कितना बल है. नारद जी ने कहा विचार बुरा तो नहीं है और उसके बाद चले गये. एक दिन रावण भक्ति और शक्ति के बल पर कैलाश समेत महादेव को लंका में ले जाने का प्रयास किया. जैसे ही उसने कैलाश पर्वत को अपने हाथों में ऊठाया तो देवि सती फिसलने लगी, वो जोर से बोली ठहरो-ठहरो ! इसके उन्होंने महादेव से पूछा कि भगवन ये कैलाश क्युँ हिल रहा है महादेव ने बताया रावण हमें लंका ले जाने क

रावण का विवाह मंदोदरी और दम्यमालिनी से ही क्यों हुआ ...Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P13

  PART. 13 रावण का वि वाह दोस्तों मेरा नाम  कांतिलाल सुथार आज देखते है  रावण का वि वाह  मंदोदरी और दम्यमालिनी से ही क्यों हुआ/ दानवों को पता चला कि उनके भांजा रावण ने अकेले ही स्वर्ग में सभी देवताओं को परास्त कर दिया है। तीनो लोकों में इस बात का पता चला और इस बात से दानव बहुत खुश हो गये उनकी वर्षो  की मनोकामना पूर्ण हो गयी और दानवों ने रावण की जय जयकार की और रावण को अपना राजा बनने कि प्रार्थना की. रावण के तेज और उसके भव्य स्वरूप और नेतृत्व (डायनामिक लीडरशिप) से मय दानव ने प्रसन्न हो के अपनी अत्यंत सुंदर और मर्यादा का पालन करने वाली पुत्रियों मंदोदरी और दम्यमालिनी का विवाह रावण के साथ किया और रावण पत्नी रूप में मंदोदरी और दम्यमालिनी को पा के प्रसन्न हुआ. पतिव्रता नारियों में मंदोदरी का स्थान देवी  अहिल्या  के समकक्ष है ........................................................................................................................... अहल्या  अथवा  अहिल्या  सनातन धर्म की कथाओं में वर्णित एक स्त्री पात्र हैं, जो गौतम ऋषि की पत्नी थीं। ब्राह्मणों और पुराणों में इनकी कथा छिटपुट रूप स

रावण के 10 सिर ही कियु 11 क्यों नहीं Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)P11

Part 11 Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi )    दोस्तों मेरा नाम  कांतिलाल सुथार आज देखते है  रावण के 10 सिर ही कियु 11 क्यों नहीं  रावण के दस सिर होने की चर्चा रामायण में आती है। वह कृष्णपक्ष की अमावस्या को युद्ध के लिये चला था तथा एक-एक दिन क्रमशः एक-एक सिर कटते हैं। इस तरह दसवें दिन अर्थात् शुक्लपक्ष की दशमी को रावण का वध होता है। रामचरितमानस में यह भी वर्णन आता है कि जिस सिर को राम अपने बाण से काट देते हैं पुनः उसके स्थान पर दूसरा सिर उभर आता था। विचार करने की बात है कि क्या एक अंग के कट जाने पर वहाँ पुनः नया अंग उत्पन्न हो सकता है? वस्तुतः रावण के ये सिर कृत्रिम थे - आसुरी माया से बने हुये। मारीच का चाँदी के बिन्दुओं से युक्त स्वर्ण मृग बन जाना, रावण का सीता के समक्ष राम का कटा हुआ सिर रखना आदि से सिद्ध होता है कि राक्षस मायावी थे। वे अनेक प्रकार के इन्द्रजाल ( जादू ) जानते थे। तो रावण के दस सिर और बीस हाथों को भी कृत्रिम माना जा सकता है। लेकिन कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिरों की बात प्रतीकात्मक है- उसमें दस मनुष्यों की जितनी बुद्धि थी और दस आदमियों का बल था! आ

Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi)P5

  Part 07 click link: Buy Low price on Amazon रामायण का पहला और अन्तिम कांड संभवतः बाद में जोड़ा गया था। अध्याय दो से सात तक ज्यादातर इस बात पर बल दिया जाता है कि राम  विष्णु [ग]  के अवतार थे। कुछ लोगों के अनुसार इस महाकाव्य में यूनानी और कई अन्य सन्दर्भों से पता चलता है कि यह पुस्तक दूसरी सदी ईसा पूर्व से पहले की नहीं हो सकती पर यह धारणा विवादास्पद है। ६०० ईपू से पहले का समय इसलिये भी ठीक है कि बौद्ध जातक रामायण के पात्रों का वर्णन करते हैं जबकि रामायण में जातक के चरित्रों का वर्णन नहीं है part 06 हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान राम,  विष्णु  के मानव अवतार थे। इस अवतार का उद्देश्य मृत्युलोक में मानवजाति को आदर्श जीवन के लिये मार्गदर्शन देना था। अन्ततः श्रीराम ने राक्षसों  [च]  के राजा  रावण  का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की। रामायण में सात काण्ड हैं - बालकाण्ड, अयोध्यकाण्ड, अरण्यकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, लङ्काकाण्ड और उत्तरकाण्ड। बालकाण्ड CLICK  HERE PART.O7 अयोध्या  नगरी में  दशरथ  नाम के राजा हुये जिनकी  कौशल्या ,  कैकेयी  और  सुमित्रा  नामक पत्नियाँ थीं। सन्तान प्र

रावण और राक्षस कुल Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P12

              PART.12        रावण और राक्षस कुल  रामायण के अनुसार रावण के पिता  विश्रवा  थे तो ऋषि पुलत्स्य के पुत्र थे। रावण की माता  कैकसी  थी जो राक्षस कुल   की थी इसलिए रावण ब्राह्मण पिता और राक्षसी माता का संतान था और रावण कई विद्याएं, वेद, पुराण, नीति, दर्शनशास्त्र, इंद्रजाल आदि में पारंगत होने के बावजूद भी उनकी प्रवृत्तियां राक्षसी थी और पूरे संसार में आतंक मचाता था। रावण का बड़ा भाई वैश्रावण था।

रावण के जन्म की कथा Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P10

  {रावण के जन्म की कथा} NEXT PART. 10                                        BUY ON AMAZON                             BUY ON AMAZON ...................................................................................................................................................... देव और दैत्य आपस में सौतेले भाई थे और निरंतर झगडते आ रहे हैं। महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति से देव और दिति से दैत्य जन्म लिये। दिति की गलत शिक्षाओं का नतीजा और अदिति के पुत्रों से अपने संतान को आगे बनाने की होड़ में दैत्य गलत दिशा में चले गये और  देवताओं के कट्टर शत्रु बन गये। युगों तक लडते रहे, कभी दैत्य तो कभी देवताओं का पलड़ा भारी रहता था। दोनों देव और दानव तपस्या करते थे, दान पुण्य आदि श्रेष्ठ कर्म करते थे। कभी ब्रह्मा जी से तो कभी महादेव से वर प्राप्त करते थे  और फिर एक ही काम एक दूसरे को नीचा दिखाना। निरंतर लडाई - झगड़े से देवता दुखी हो गये । तब देवताओं ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की, कि वो कुछ करें। ब्रह्मा जी ने देवताओं को सागर मंथन की बात कह और उससे अमृत प्राप्त होने की बात बतलाई जिसे देवता पी लें,

14वर्ष का वनवास ही क्यों Ramayan (Ramayan hi kiyu or koi kiu naam nahi) P8

                 BUY ON AMAZON                                 Part 08                          BUY ON AMAZON ........................................................................................................................................................ भगवान राम के जन्म-समय पर पौराणिक शोध [ संपादित करें ] राम के कथा से सम्बद्ध सर्वाधिक प्रमाणभूत ग्रन्थ आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में रामजी के-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:  चैत्रे नावमिके तिथौ।। नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु। ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।। [14] अर्थात्  चैत्र  मास की नवमी तिथि में पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा  कर्क  लग्न में  चन्द्रमा  के साथ  बृहस्पति  के स्थित होने पर (रामजी का जन्म हुआ)। यहां केवल बृहस्पति तथा चन्द्रमा की स्थिति स्पष्ट होती है। बृहस्पति उच्चस्थ है तथा चन्द्रमा स्वगृही। आगे पन्द्रहवें श्लोक में  सूर्य  के उच्च होने का उल्लेख है। इस प्रकार बृहस्पति तथा सूर्य के उच्च होने का पता चल जाता है।  बुध  हमेशा सूर्य के पा