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Maa तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा

maa kali

 Aaj ka Blog Maa K Naam
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माँ एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम ही है। हम माँ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं। माँ के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाये लेकिन माँ का नाम लेना नही भूलता है। माँ को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। एक माँ दुनियां भर के कष्ट सहकर भी अपने संतान को अच्छी से अच्छी सुख-सुविधाएं देना चाहती है।

एक माँ अपने बच्चों से बहुत ही ज्यादे प्रेम करती है, वह भले ही खुद भुखी सो जाये लेकिन अपने बच्चों को खाना खिलाना नही भूलती है। हर व्यक्ति के जीवन में उसकी माँ एक शिक्षक से लेकर पालनकर्ता जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है। इसलिए हमें अपनी माँ का सदैव सम्मान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमसे भले ही नाराज हो जाये लेकिन एक माँ अपने बच्चों से कभी नाराज नही हो सकती है। यही कारण है कि हमारे जीवन में माँ के इस रिश्ते को अन्य सभी रिश्तों से इतना ज्यादे महत्वपूर्ण माना गया है।

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हमारे जीवन में यदि कोई सबसे ज्यादे महत्व रखता है तो वह हमारी माँ ही है क्योंकि बिना माँ के तो जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। यही कारण है कि माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का रुप भी माना जाता है। इसलिए हमें माँ के महत्व के महत्व को समझते हुए, उसे सदैव खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए।



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मैं अपने माँ को एक अभिभावक तथा शिक्षक के साथ ही अपना सबसे अच्छा मित्र भी मानता हूं क्योंकि चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन मेरे प्रति उसका प्रेम और स्नेह कभी कम नही होता है। जब भी मैं किसी संकट या फिर तकलीफ में होता हूं तो वह बिना बताये ही मेरी परेशानियों के विषय में जान जाती है और मेरी सहायता करने का हरसंभव प्रयास करती है।

एक स्त्री अपने जीवन में पत्नी, बेटी, बहू जैसे ना जाने कितने रिश्ते निभाती है, लेकिन इन सभी रिश्तों में से जिस रिश्ते को सबसे ज्यादे सम्मान प्राप्त है वह माँ का रिश्ता है। मातृत्व वह बंधन है जिसकी व्याख्या शब्दों में नही की जा सकती है। माँ अपने बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके लालन-पालन का भी कार्य करती है। कुछ भी हो जाये लेकिन एक माँ का उसके बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नही होता है, वह खुद से भी ज्यादे अपने बच्चों के सुख-सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है।
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एक माँ अपनी संतान के रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपत्तियों का सामना करने का साहस रखती है। एक माँ स्वयं चाहे जितने भी कष्ट सह ले लेकिन अपने बच्चों पर किसी तरह की आंच नही आने देती है। इन्हीं कारणों से तो माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का रुप माना गया है और इसलिए यह कहावत भी काफी प्रचलित है कि “ईश्वर हर जगह मौजूद नही रह सकता है इसलिए उसने माँ को बनाया है।”

मेरी माँ मेरे जीवन में कई सारी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है, वह मेरी शिक्षक तथा मार्गदर्शक होने के साथ ही मेरी सबसे अच्छी मित्र भी है। जब मैं किसी समस्या में होता हूं, तो वह मुझमें विश्वास पैदा करने का कार्य करती है। आज मैं अपने जीवन में जो कुछ भी हूं वह सिर्फ अपने माँ के ही बदौलत हूं क्योंकि मेरी सफलता तथा असफलता दोनो ही वक्त वह मेरे साथ थी। उनके बिना तो मैं अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकता, यहीं कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा मित्र मानता हूं।मेरी माँ मेरे जीवन का आधारस्तंभ है, वह मेरी शिक्षक तथा मार्गदर्शक होने के साथ ही मेरे सबसे अच्छी मित्र भी है। वह मेरे हर समस्याओं, दुखों और विपत्तियों में मेरे साथ खड़ी रहती है और मुझे जीवन के इन बाधाओँ को पार करने शक्ति प्रदान करती है, उसके द्वारा बतायी गयी छोटी-छोटी बातों ने मेरे जीवन में बड़ा परिवर्तन किया है। यहीं कारण है कि मैं अपने माँ को अपना आदर्श और सबसे अच्छा मित्र भी मानता हूं।

इस बात को मैं काफी गर्व और विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस दुनिया में मेरी माँ ही मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है क्योंकि मुझे जन्म देने के साथ ही उसने मुझे मेरे शुरुआती जीवन में वह हर एक चीज सिखायी है, जिसके लिए मैं पूरे जीवन उसका आभारी रहूंगा। जब मैं छोटा था तो मेरी माँ ने मेरी उंगली पकड़कर चलना सिखाया। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो मेरी माँ ने मुझे कपड़े पहनना, ब्रश करना, जूते का फीता बांधना सिखाने की साथ ही घर पर मुझे प्रारंभिक शिक्षा भी दी।

जब भी मैं किसी कार्य में असफल हुआ तो मेरी माँ ने मुझमें और भी विश्वास जगाया। जब भी मैं किसी समस्या में था तो मेरी माँ ने हरसंभव प्रयास किया कि मैं उस बाधा को पार कर लूं। भले ही मेरी कोई बहुत पढ़ी-लिखी महिला ना हो लेकिन उसके जिदंगी के तुजर्बे से प्राप्त ज्ञान की बातें किसी इंजीनियर या प्रोफेसर के तर्कों से कम नही है। आज भी वह मुझे कुछ ना कुछ जरुर सिखा पाती है क्योंकि मैं कितना ही बड़ा क्यों ना हो जाऊ लेकिन जिंदगी के अनुभव में हमेशा उससे छोटा ही रहूंगा। वास्तव में मेरी माँ मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है और उसके द्वारा दी जाने वाली हर एक शिक्षा अनमोल है।

उन्होंने मुझे बस प्रारंभिक शिक्षा ही नही दी बल्कि की जीवन जीने का तरीका भी सीखाया है, मुझे इस बात की शिक्षा दी है कि समाज में किस तरह से व्यवहार करना चाहिए। वह मेरे दुख में मेरे साथ रही हैं, मेरे तकलीफों में मे मेरी शक्ति बनी है और वह मेरे हर सफलता का आधारस्तंभ भी है। यहीं कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा मित्र मानता हूं।

हम अपने जीवन में कितने ही शिक्षित तथा उपाधि धारक क्यों ना हो जाये लेकिन अपने जीवन में जो चीजें हमने अपनी माँ से सीखी होती हैं, वह हमें दूसरा कोई और नही सीखा सकती है। यही कारण है कि मेरी माँ मेरी सबसे अच्छी शिक्षक है क्योंकि उन्होंने मुझे सिर्फ प्रारंभिक शिक्षा ही नही बल्कि की मुझे जीवन जीना भी सिखाया है।

मेरे जीवन में यदि किसी ने मुझपर सबसे ज्यादे प्रभाव डाला है, तो वो मेरी माँ है। उसने मेरे जीवन में मुझे कई सारी चीजें सिखायी है जो मेरे पूरे जीवन मेरे काम आयेंगी। मैं इस बात को काफी गर्व के साथ कह सकता हूं कि मेरी माँ मेरी गुरु तथा आदर्श होने के साथ ही मेरे जीवन का प्रेरणा स्त्रोत भी है।

प्रेरणा एक तरह की अनुभूति है जो हमें किसी चुनौती या फिर कार्य को सफलतापूर्व प्राप्त करने में हमारी सहायता करती है। यह एक प्रकार की प्रवृति है, जो हमारे शारीरिक तथा सामाजिक विकास में हमारी सहायता करता है। किसी व्यक्ति तथा घटना से प्राप्त प्रेरणा हमें इस बात का अहसास करती है कि हम विकट परिस्थियों में भी किसी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।

हम अपने क्षमताओं के विकास के लिए अन्य स्त्रोतों से प्रेरणा प्राप्त करते है, जिसमें मुख्यतः विख्यात व्यक्ति या फिर हमारे आस-पास का विशेष व्यक्ति हमें इस बात के लिए प्रेरित करता है कि यदि उसके द्वारा विकट परिस्थियों में भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है तो हमारे द्वारा भी यह कार्य अवश्य ही किया जा सकता है।

कई लोगों के जीवन में पौराणिक या ऐतिहासिक व्यक्ति उनके प्रेरणा स्त्रोत होते हैं, तो कई लोगों के जीवन में प्रसिद्ध व्यक्ति या फिर उनके माता-पिता उनके प्रेरणा स्त्रोत होते है। मायने यह नही रखता कि आपका प्रेरणा स्त्रोत कौन है, मायने यह रखता है कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में उसके विचारों और तरीकों से कितने ज्यादे प्रभावित है।

हरेक व्यक्ति के जीवन में कोई ना कोई उसका प्रेरणा स्त्रोत अवश्य होता है और उसी से वह अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा ग्रहण करता है। किसी के जीवन में उसके शिक्षक उसके प्रेरणा स्त्रोत हो सकते है, तो किसी के जीवन में कोई सफल व्यक्ति उसका प्रेरणा स्त्रोत हो सकता है लेकिन मेरे जीवन मैं अपने माँ को ही अपने सबसे बड़े प्रेरणा स्त्रोत के रुप में देखता हूं। वहीं वह व्यक्ति हैं जिन्होंने मुझे मेरे जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान की।

आज तक के अपने जीवन में मैने अपने माँ को कभी विपत्तियों के आगे घुटने टेकते हुए नही देखा है। मेरे सुख-सुविधाओं के लिए उन्होंने कभी भी अपने दुखों की परवाह नही की वास्तव में वह त्याग और प्रेम की प्रतिमूर्ति है, मेरे सफलताओं के लिये उन्होंने ना जाने कितने कष्ट सहें है। उनका व्यवहार, रहन-सहन तथा इच्छाशक्ति मेरे जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा है।मेरी माँ मेरी प्रेरणा स्त्रोत इसलिए भी है क्योंकि ज्यादेतर लोग कार्य करते हैं कि उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हो और वह समाज में नाम कमा सके लेकिन एक माँ कभी भी यह नही सोचती है वह तो बस अपने बच्चों को उनके जीवन में सफल बनाना चाहती है। वह जो भी कार्य करती है, उसमें उसका अपना कोई स्वार्थ नही होता है। यही कारण है कि मैं अपने माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का एक रुप मानता हूं।

वैसे तो सबके जीवन में उसका कोई ना कोई प्रेरणा स्त्रोत अवश्य ही होता है, जिसके कार्यों या बातों द्वारा वह प्रभावित होता है लेकिन मेरे जीवन में यदि कोई मेरा प्रेरणा स्त्रोत रहा है तो वह मेरा माँ है। उनके मेहनत, निस्वार्थ भाव, साहस तथा त्याग ने मुझे सदैव ही प्रेरित करने का कार्य किया है। उन्होंने मुझे समाजिक व्यवहार से लेकर ईमानदारी तथा मेहनत जैसी महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी हैं। यही कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा शिक्षत, मित्र तथा प्रेरक मानता हूं।


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